असल में है क्या UCC और क्या बदल जाएगा इससे; कोर्ट भी कर चुका पैरवी, 9 देशों में लागू,

समान नागरिक संहिता लागू होने से आम लोगों के विवाह, तलाक, संपत्ति, उत्तराधिकार जैसे कानूनों में एकरूपता आ जाएगी। जैसे अभी अपराधिक कानून धर्म, लिंग, क्षेत्र के भेदभाव के बिना सब पर एक समान लागू होते हैं, इसी तरह अब नागरिक कानून में भी यह समानता कायम हो जाएगी। जबकि अभी नागरिक कानूनों में धर्म और लिंग के आधार पर काफी असमानताएं हैं।

 

देहरादून के सीनियर एडवोकेट संजीव शर्मा के मुताबिक देश में दो तरह की संहिता है एक अपराधिक संहिता जिसे सामान्य भाषा में आईपीसी के नाम से जाना जाता है, जबकि दूसरी तरफ निजी कानून हैं, जिन्हें पर्सनल लॉ कहा जाता है। पर्सनल लॉ में हिंदू मैरिज ऐक्ट, आनंद कारज ऐक्ट, मुस्लिम लॉ प्रमुख तौर पर शामिल हैं, पर्सनल लॉ शादी, तलाक, उत्तराधिकार, गोद, संरक्षण जैसी गतिविधियों को नियमित करते हैं, यह अपने-अपने धर्म के अनुसार सब पर अलग - अलग लागू होते हैं।

 

देहरादून के एक और सीनियर एडवोकेट गौरव शर्मा के मुताबिक, अपराधिक कानून के तहत देश के सभी राज्यों में सभी नागरिकों के लिए चोरी की एक बराबर सजा है। जबकि पर्सनल लॉ में धर्म के आधार पर काफी असमानता है। उदाहरण के तौर पर मुस्लिम व्यक्ति को एक से अधिक विवाह का अधिकार हासिल है, जबकि हिंदू मैरिज ऐक्ट एक से अधिक विवाह पर सख्ती से रोक लगाता है। इसी तरह तलाक के अधिकार भी धर्मों के आधार पर अलग -अलग हैं। पर्सनल लॉ आमतौर पर पुरुषों के हक में झुके हुए हैं, इस कारण भी अब समय के साथ इनमें बदलाव की मांग होती रही है। इस तरह अब समान नागरिक संहिता लागू हो जाने से बाद सभी धर्मों के पर्सनल लॉ में भी एक रूपतता आ जाएगी। यानि शादी, तलाक, उत्तराधिकार, गोद, सम्पत्ति के अधिकारों में धार्मिक आधार पर असमानता दूर हो जाएगी।

 

अदालत कर चुकी है पैरवी

सबसे पहले 1973 में केशवानंद भारती बनाम केरल सरकार में सुप्रीम कोर्ट ने यूसीसी के पक्ष में टिप्पणी की। इसके बाद मोहम्मद अहमद खान बनाम शाह बानो बेगम, सरला मुदगल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, शबनम हाशमी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, शायरा बानो बनाम यूनियन ऑफ इंडिया जैसे अनेकों याचिकाओं की सुनवाई के दौरान भी कोर्ट की इस पर सकारात्मक टिप्पणियां आई हैं।

 

नेपाल समेत नौ देशों में समान नागरिक संहिता लागू

भारत के पड़ोसी देश नेपाल समेत दुनिया के 9 मुल्कों में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू है। यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने वाली पांच सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया है। रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब, तुर्की, इंडोनेशिया, नेपाल, फ्रांस, अजरबैजान, जर्मनी, जापान और कनाडा में यूसीसी लागू है। अब जल्द ही भारत में उत्तराखंड ऐसा राज्य होगा जहां यूसीसी लागू होगा। दरअसल, उत्तराखंड में अभी इस कानून को लागू करने में कुछ औपचारिकताएं बाकी हैं। मंगलवार को विधानसभा के पटल पर विधेयक पेश होने के बाद अब इसे पारित होने के पश्चात राजभवन की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और फिर राष्ट्रपति का अनुमोदन लिया जाएगा।