बिजली के लिए जारी रहेगा राजस्थान में हाहाकार! ऊर्जा मंत्री बोले- 'सितंबर तक बने रहेंगे यही हालात
जयपुर: राजस्थान विधानसभा में बिजली संकट पर चर्चा के बाद जवाब देते हुए ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कुप्रबंधन के कारण प्रदेश को बिजली संकट से जूझना पड़ा है. कांग्रेस सरकार के समय बिजली के उत्पादन, प्रसारण और वितरण तीनों ही क्षेत्रों की अनदेखी हुई. आवंटित कोल ब्लॉक से कोयले का खनन शुरू नहीं करवा पाने के कारण महंगा कोयला अन्य स्रोतों से खरीदा गया. जो कोयला 4000 रुपये प्रति टन आता है, उसे आयातित कोयला के रूप में 18 हजार प्रति टन की दर से पिछली सरकार ने खरीदा, जिससे फ्यूल सरचार्ज का बोझ आम जनता पर पड़ रहा है.
सितंबर तक जारी रहेगी बिजली कटौती:
कांग्रेस सरकार के समय राज्य के थर्मल बिजलीघर अपनी स्थापित क्षमता 7 हजार 580 मेगावाट के मात्र 50 प्रतिशत पर ही उत्पादन करते रहे. मगर, भाजपा सरकार ने आते ही पीएलएफ बढ़ाया है. जनरेशन प्लांट ठीक किए हैं. समय पर कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित कर उत्पादन क्षमता में वृद्धि की है. मंत्री ने बताया, '2023 में रबी सीजन की मांग को पूरा करने के लिए कांग्रेस सरकार ने अन्य राज्यों से बैंकिंग के जरिए बिजली उधार ली थी. यही वजह है कि वर्तमान भाजपा सरकार को इस विषम परिस्थिति में भी इस कर्ज को स्वयं के राज्य की बिजली काटकर लौटाना पड़ रहा है. पिछली सरकार ने 35 हजार 234 लाख यूनिट उधार ली, जो अब लौटानी पड़ रही है. जुलाई तक लगभग 24 हजार लाख यूनिट लौटाई जा चुकी है और आगामी दो माह में लगभग 11 हजार लाख यूनिट बिजली और लौटाई जानी है.'
2027 तक किसानों को दो ब्लॉक में बिजली:
ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने विधान सभा में कहा कि हमारी सरकार ने प्रदेश को बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए केन्द्रीय उपक्रमों के साथ एमओयू किये हैं. दूरदर्शी सोच के साथ उठाए गए इस कदम से आने वाले समय में राजस्थान में बिजली की कोई कमी नहीं रहेगी. औसत बिजली कटौती वर्ष 2022 के मुकाबले वर्ष 2024 में काफी कम रही है. हम वर्ष 2027 तक किसानों को दो ब्लॉक में दिन में बिजली देंगे. कृषि कनेक्शनों को लेकर हमारी सरकार ने 1.50 लाख कनेक्शन जारी करने का लक्ष्य रखा है. सभी कृषि कनेक्शन आगामी दो वर्ष में दिन में शिफ्ट किए जाएंगे, और वे सोलर से जोड़े जाएंगे. वहीं 1000 मेगावाट के सोलर संयंत्र सरकारी कार्यालयों पर लगाए जाएंगे. इसकी बिड जारी कर दी गई है.
सोलर जनरेशन बढ़ाने के लिए बजट में घोषणा:
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि हमारी सरकार ने सोलर जनरेशन बढ़ाने के लिए बजट में व्यापक घोषणाएं की हैं, जिससे डिस्कॉम्स बिजली खरीद की लागत को न्यूनतम रखते हुए उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध करवाने की स्थिति में होंगे. हाल ही में आरडीएसएस योजना में 7896 करोड़ रुपये की स्वीकृति केन्द्र सरकार से प्राप्त हो चुकी है, जिसमें फीडरों का सेग्रीगेशन होगा. भाजपा सरकार ने दूरदर्शी सोच के साथ बिजली उत्पादन, प्रसारण एवं वितरण तीनों ही आयामों में बड़े लक्ष्य तय किए हैं. शक्ति पॉलिसी के तहत 3200 मेगावाट थर्मल प्लांट एवं 8000 मेगावाट सोलर प्लांट की ब्लेंडिंग कर कुल 11 हजार 200 मेगावाट के प्लांट की टैरिफ आधारित निविदा (जिसकी लागत 64 हजार करोड़ रुपये है) प्रकियाधीन है.
सही समय पर गुणवत्ता की बिजली देना लक्ष्य:
भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए उत्पादन निगम एवं एनटीपीसी/एनजीईएल, कोल इंडिया, नेवेली लिग्नाईट जैसे केन्द्रीय उपक्रमों के साथ संयुक्त उपक्रम के माध्यम से 3325 मेगावाट कोयला और 28 हजार 500 मेगावाट अक्षय ऊर्जा के एमओयू किये गए हैं. इनकी लागत 1 लाख 50 हजार करोड़ रुपये है. पीएम कुसुम योजना कॉम्पोनेन्ट-सी के तहत लगभग 4400 मेगावाट के आदेश जारी कर दिए गए हैं. ऊर्जा मंत्री ने कहा कि हमने 112 नए जीएसएस का काम हाथ में लिया है. इनमें से 48 प्रगतिरत हैं. 22 के कार्यादेश जारी हो चुके हैं. 4 निविदा प्रकिया में हैं 38 की निविदा प्रकिया शुरू की जाएगी. उन्होंने कहा कि आगामी महीनों के लिए 1000 मेगावाट की शॉर्ट टर्म निविदा प्रकिया में है. हमारा प्रयास उपभोक्ता को समय पर सही गुणवत्ता की बिजली उपलब्ध कराने का है.