देवनानी पहुँचे सिंगापुर, भारतीय प्रवासियों ने किया अभिनन्दन

अजमेर ,(फ़तेह एक्सप्रेस)। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी गुरुवार को सिंगापुर पहुँचे। सिंगापुर में  देवनानी का प्रवासी भारतीयों ने गर्मजोशी से स्वागत किया और सम्मान किया। विधान सभा अध्यक्ष देवनानी ने सिंगापुर में प्रवासी भारतीयों को सम्बोधित करते हुए कहा कि संस्कारवान व्यक्ति ही इंसान होता है। ऎसे व्यक्ति में करुणा, दया, प्रेम, इंसानियत, ईमानदारी और निष्ठा होती है। उन्होंने कहा कि केवल जीवन को जीना ही जिंदगी नहीं होनी चाहिए। सफल जिंदगी वहीं है, जिसमें हम अपने कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी से निभाते है।

संस्कारवान व्यक्ति ही इंसान होता है

      देवनानी ने कहा कि भावी पीढ़ी को संस्कार सिखायें। भावी पीढ़ियों को संस्कार देने की जिम्मेदारी वर्तमान पीठी की है। भारतीय सनातन संस्कृति में परिवार व्यवस्था है। परिवार व्यवस्था के आधार संस्कार ही होते हैं।  देवनानी ने कहा कि अच्छे परिवार की रचना करें। जहां परिवार के छोटे सदस्य परिवार के बड़े सदस्यों का आदर करें। परिवार में सभी एक- दूसरे का सम्मान करें। सभी लोग अपनी जिम्मेदारी समझें। भारतीय परिवारों में सद्भाव का वातावरण ही उनकी पहचान है। एक व्यक्ति के संकट के समय पूरा परिवार मद्द के लिए इकट्ठा हो जाता है, यह आपसी सदभाव का सबसे बड़ा उदाहरण है। अब हमारी जिम्मेदारी है कि आने वाली पीढियों को सनातन परम्परा के गुण सिखाकर उन्हें आगे बढ़ने के लिए वातावरण का निर्माण करें।

सिंधी समाज पुरुषार्थी और मेहनती समाज है-  देवनानी

     अध्यक्ष देवनानी ने कहा कि सिंधी समाज पुरुषार्थी समाज है। सिंधी समाज के लोगों ने भारत राष्ट्र के विकास में सक्रिय योगदान दिया है। सिंधी समाज के लोगों ने अपनी मेहनत, ईमानदारी और निष्ठा से संसार के विभिन्न देशों में भारत का परचम लहराया है। सिंधी समाज के लोगों ने विदेशों में भी अपनी मेहनत के बल पर पहचान बनाई है।  देवनानी ने कहा कि सिंधी भाषा की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत बहुत समृद्ध है। सिन्धी के लगभग 70 प्रतिशत शब्द संस्कृत मूल के हैं।

महापुरुषो की जीवनी को पाठ्यक्रमों में जुड़वाया

     देवनानी ने कहा कि जब उनके पास राजस्थान सरकार के शिक्षा मंत्री का दायित्व था, तब उन्होंने राजस्थान शिक्षा के विभिन्न पाठ्यक्रमों में राष्ट्रवादी विचारधारा को प्रमुखता देते हुए, वीर-वीरांगनाओं की कहानियां जुडवायी। उन्होंने बताया कि महाराणा प्रताप, वीर दुर्गादास राठौड़, महाराजा दाहिरसेन, शहीद हेमू कालाणी, संत कंवरराम, संत टेऊराम जैसे महापुरुषों और स्वतंत्रता सैनानियों की जीवनी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। महापुरुषों का त्याग, बलिदान और उनके द्वारा राष्ट्र की रक्षा और सेवा के लिए किये गये कार्य लोगों के लिए मार्ग दर्शन साबित होते हैं।

भारत के महापुरुषों के पराक्रम और वीरता की कहानियां प्रेरणादायी

     भारत वीर सपूतों की धरती है और यहां आजादी की लड़ाई में कई वीर-वीरांगनाओं ने अपना बलिदान दिया था। इसकी मिट्टी से होनहार बहादुर पैदा हुए हैं। 1857 के पहले स्वातंय समर से लेकर 1947 में देश आजाद होने तक पुरुषों के साथ महिलाएं भी डटी रहीं और जब आजाद भारत की अपनी लोकतांत्रिक सरकार बनी उस वक्त भी सशक्तिकरण की बात जब भी होती है तो महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की चर्चा ज़रूर होती है। झांसी की रानी सन 1857 के विद्रोह में शामिल रहने वाली प्रमुख शख्सियत थी। रानी लक्ष्मीबाई के अप्रतिम शौर्य से चकित अंग्रेजों ने भी उनकी प्रशंसा की थी और वह अपनी वीरता के किस्सों को लेकर किंवदंती रही हैं। महाराणा प्रताप की शौर्य गाथा में ऎसी कई कहानियां प्रसिद्ध हैं, जिन्हें सुन कर किसी भी व्यक्ति में जोश आ जायेगा। उनके पराक्रम और वीरता आज भी राष्ट्र के लिए प्रेरणा स्त्रोत है।

स्वामी विवेकानंद युवाओं के मार्ग-दर्शक

     विधान सभा अध्यक्ष  देवनानी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने अपने छोटे से जीवनकाल में ऎसे-ऎसे कार्य किये, जो हमारी पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक हैं। स्वामी विवेकानंद के जीवन की सबसे प्रसिद्ध व बड़ी घटना शिकागो की थी, जहाँ उन्होंने भाषण की शुरुआत से ही वहाँ की पूरी जनता का मन जीत लिया था। अपने कार्यों द्वारा उन्होंने विश्व भर में भारत का नाम रोशन किया। यहीं कारण है कि वह आज के समय में भी लोगो के प्रेरणास्त्रोत हैं। स्वामी विवेकानंद ने अपने ज्ञान तथा शब्दों द्वारा पूरे विश्व भर में लोगो का नजरिया बदला और लोगो को आध्यात्म तथा वेदांत से परिचित कराया। स्वामी विवेकानंद ने विश्वभर को भारत के अतिथि देवो भवः सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकार्यता के विषयों से परिचित कराया।

सिंगापुर में की पूजा-अर्चना

      देवनानी का सिंगापुर में सिन्धु सेवा संगठन और विवेकानंद सेवा केन्द्र के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में अभिनन्दन किया गया। सिंगापुर में सिंधी समाज द्वारा स्थापित भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण और भगवान श्रीझूलेलाल के मंदिर में सामूहिक आरती कर देश और प्रदेश की समृद्धि व खुशहाली के लिये कामना की।  देवनानी ने मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद लोगों के साथ स्नेह भोज भी किया। इस मौके पर सिन्धु सेवा संगठन के  हैरी गुरनानी और विवेकानंद सेवा केन्द्र के  गुरुदत्त सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।

देवनानी की गुरु नानक जयंती पर दी शुभकामनाएं

     राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने गुरुनानक जयंती पर प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। देवनानी ने कहा है कि गुरु नानक देव का 555वां प्रकाश पर्व को पूरी श्रद्धा व उल्लास के साथ मनायें। उन्होंने कहा कि गुरु नानक के संदेश आज भी प्रांसगिक है। गुरु नानक ने सामाजिक समरसता को बढावा दिया। सनातन परम्परा व अन्य पंथों के सिद्धान्तों को उन्होंने लोगों को गांव-गांव जाकर समझाया। इस जयंती पर हम सभी विकारों पर विजय पाने का संकल्प लें।