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अतिवृष्टि एवं आपदा प्रबंधन के संबंध में बैठक आयोजित
अजमेर, जिले में अतिवृष्टि एवं आपदा प्रबंधन के संबंध में जिला कलक्टर लोक बन्धु की अध्यक्षता में वीसी के माध्यम से शनिवार को बैठक आयोजित हुई।
जिला कलक्टर लोक बन्धु ने कहा कि राज्य सरकार अतिवृष्टि तथा अन्य आपदाओं के प्रबंधन के प्रति संवेदनशील है। इससे बचने के लिए सरकार द्वारा दिशा निर्देश जारी किए गए है। इसकी पालना सुनिश्चित की जानी चाहिए। राजकीय भवनों की सुरक्षा के लिए उपखण्ड स्तर पर कमेटी का गठन करे। उसकी रिपोर्ट तत्काल प्रभाव से जिला मुख्यालय को भिजवाई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों की संयुक्त निरीक्षण टीमें गठित की जाएं। सभी शासकीय विद्यालयों का शीघ्र निरीक्षण करें। निजी विद्यालयों को भी इस संबंध में संवेदनशील किया जाए। उन्हें आत्म-निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया गया। विद्यालय परिसरों में किसी भी प्रकार के असुरक्षित कक्षों एवं भवनों की पहचान कर उन्हें तुरंत सील किया जाए। छात्रों को निकटवर्ती सुरक्षित शासकीय विद्यालयों अथवा अन्य शासकीय भवनों में स्थानांतरित किया जाए। अत्यधिक जर्जर अथवा असुरक्षित ढांचों को मानक प्रक्रिया अनुसार ध्वस्त किया जाए ताकि बच्चों का वहां खेलना अथवा मध्यान्ह भोजन बनाना पूर्णतः रोका जा सके।
उन्होंने कहा कि छत, सीलिंग, विद्युत वायरिंग, चारदीवारी, नालियों एवं जल भंडारण संरचनाओं की सुरक्षा की जांच की जाए। आवश्यक मरम्मत कार्य अविलंब प्रारंभ किए जाए। प्रधानाचार्य अथवा प्रधानाध्यापक प्रतिदिन विद्यालय परिसर की सुरक्षा जांच करेंगे। ब्लॉक, जिला एवं राज्य स्तर के अधिकारी समय-समय पर औचक निरीक्षण भी करें। प्रत्येक विद्यालय आपातकालीन निकासी योजना तैयार करे एवं उसे परिसर में प्रदर्शित करे। स्वास्थ्य एवं आपदा संबंधी संपर्क नंबर सभी विद्यालय प्रमुखों को उपलब्ध कराए जाएं। अत्यधिक भारी वर्षा की स्थिति में सुरक्षा की दृष्टि से विद्यालयों को अस्थायी रूप से बंद करने के निर्देश जारी किए जाएं।
उन्होंने कहा कि विद्यालय परिसरों की स्थिति का सर्वेक्षण तत्काल पूर्ण कर उसकी रिपोर्ट सचिव, स्कूल शिक्षा एवं निदेशक, माध्यमिक शिक्षा को शीघ्र प्रेषित करें। इसके प्रथम चरण में स्कूल, आंगनबाडी केन्द्र तथा चिकित्सालयों का सर्वे किया जाएगा। इसकी रिपोर्ट 30 जुलाई तक भिजवाएं। इसके पश्चात द्वितीय चरण में सड़कों तथा पुलों की रिपोर्ट शुक्रवार एक अगस्त तक जिला मुख्यालय को भिजवाने की व्यवस्था करें। तृतीय चरण में शेष समस्त राजकीय भवनों की रिपोर्ट तैयार की जाएगी। भारी वर्षा से क्षतिग्रस्त विद्यालयों की मरम्मत, पुनस्र्थापना के लिए नियमों के अनुसार 2 लाख रूपए प्रति संस्था विद्यालय एवं आंगनवाड़ी संयुक्त रूप से संचालित हों वहां समरूप राशि स्वीकृत की जा सकती है। संबंधित अधिकारी इस प्रक्रिया को शीघ्रता से पूर्ण करेंगे। विद्यालयों की स्थिति संबंधी मीडिया कवरेज पर नियमित रूप से ध्यान देकर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने कहा कि जिले के बाढ नियंत्रण कक्ष में स्थापित टोल फ्री नम्बर 1077 चालू है। कन्ट्रोल रूम के नम्बर 0145-2628932 पर भी चौबीसों घंटे सम्पर्क किया जा सकता है। टोल फ्री नम्बर को पंचायत घर, डिसपेन्सरी, पटवार घर, आंगनबाडी केन्द्रों आदि की दिवारों पर चस्पा करें। कन्ट्रोल रूम पर आने वाली समस्याओं का शीघ्र एवं उचित रूप से समाधान किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि वर्षाकाल में कई तरह की मौसमी बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है। अतः चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग आवश्यक चिकित्सा सुविधाओं एवं मेडिकल स्टाफ को सतर्क रखने के लिए निर्देशित किया गया। कन्ट्रोल रूम एवं सोशल मीडिया पर प्राप्त शिकायतों पर संबंधित अधिकारी संज्ञान लेकर मौका मुआवना करके समस्या का तुरन्त समाधान करने की कार्यवाही करने के लिए निर्देशित किया गया। सभी संबंधित विभाग आपस में समन्वय स्थापित कर कार्य करें ताकि आमजन को शीघ्र सहायता उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा कि जिले के सभी विद्यालय, महाविद्यालय, छात्रावास, चिकित्सा भवन, आंगनबाडी केन्द्र एवं अन्य सभी असुरक्षित राजकीय भवनों का सुरक्षा निरीक्षण जिला एवं उपखण्ड स्तर पर तकनीकी अधिकारियों एवं संबंधित जिला स्तरीय व उपखण्ड की कमेटीयों के द्वारा करवाकर निर्धारित समयावधि में रिपोर्ट प्रस्तुत करें। जर्जर एव असुरक्षित भवनों का चिन्हीकरण करावें एवं इन भवनों पर असुरक्षित होने का नोटिस बोर्ड लगाया जाकर खाली करना सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा कि मरम्मत से संबंधित कार्यों जैसे की टूटी छत, लटके हुए सरिए, खुले हुए, लटके बिजली के तार, क्षतिग्रस्त बिजली के स्विच एवं बोर्ड इत्यादि वाले भवनों को दुरूस्त करवाएं। बाढ एवं जलप्लावन क्षेत्रों के समीप चेतावनी बोर्ड लगाया जाना सुनिश्चित करें। मानसून के दौरान सड़कों, रपटों एवं पुलियाओं का निरीक्षण कर, असुरक्षित पुलियां एवं अन्य असुरक्षित अधिसरचनाओं पर चेतावनी बोर्ड लगवाएं एवं सुरक्षित यातायात का प्रबंधन करें।
उन्होंने कहा कि राजकीय भवनों की छत पर जल भराव, सफाई, नालों की रूकावट इत्यादि को अविलम्ब साफ कराना सुनिश्चित करें। भवनों को अत्यधिक वर्षा से हुई क्षति को मरम्मत करने में राज्य आपदा राहत प्रबंधन कोष (एसडीआरएफ) में तकमीने एवं प्रस्ताव तत्काल भेजकर स्वीकृति प्राप्त करें। पुराने भवन विशेषकर जो स्टोन पट्टी से बने हुए है उनका समय-समय पर निरीक्षण करवाकर असुरक्षित होने की स्थिति में तत्काल प्रभाव से चिन्हीकरण कर खाली करवाएं।
उन्होंने कहा कि बिजली विभाग द्वारा खुले तार, खुले ट्रांसफार्मर, बिजली के खम्भे एवं अन्य स्थानों का निरीक्षण करवाकर सुरक्षित करवाएं। भवनों के चारों ओर जल भराव के कारण नींव कमजोर होती है एवं दीवार छत ढ़हने की संभावना बढ़ जाती है। अतः भवन सुरक्षा के लिए जल भराव की स्थिति में पर्याप्त ड्रेनेज, जल निकास के लिए कच्ची नाली के स्थान पर पक्की नाली बनवाई जाएं। पानी रूकने एवं बहाव से भवनों की बाउण्ड्री वाल (चार दिवारी) के नीचे कटाव हो जाता है, जो सामान्यतः दिखाई नहीं देता, की जांच करवाकर उनका सुरक्षित होना सुनिश्चित करें। भवनों की सुरक्षा के लिए आवश्यक स्थाई समाधान के लिए तकमीना बनवाकर संबंधित विभाग से स्वीकृति जारी करवाए ताकि तत्काल कार्य पूर्ण करवाए जा सके।
इस अवसर पर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राम प्रसाद, अतिरिक्त जिला कलक्टर गजेन्द्र सिंह राठौड़, ज्योति ककवानी एवं वंदना खोरवाल, उप वन संरक्षक विरेन्द्र सिंह जोरा सहित जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे। उपखण्ड एवं ब्लॉक स्तरीय अधिकारी वीसी के माध्यम से जुड़े।